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Showing posts from January, 2017

भूख के खिलाफ जंग .....(what are the technique for the fight against Hunger)

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"बेहतर खाद्य प्रबंधन ना होने से हमारे देश के २० करोड़  बच्चे और उनके परिवार आज दाने - दाने के लिए तरस रहे है  " कोई मुर्ख इस बात से परेसान हो सकता है ..मुझे गालिया भी दे सकता है की मैं देश  के बारे में ऐसा क्यों लिख रहा हूं ..पर जो देश भक्त होंगे और उससे भी पहले जिनमे इंसानियत होगी वो जान जायेंगे की बात भले ही कड़वे है, पर यही सत्य है ..... -हमारे देश में बहुत से NGO है जो काम कर रही है ..हम उनसे संपर्क कर सकते है ... -हम मोहल्ला संगठन बना सकते ...जो आस पास के कुपोषित बच्चो की जानकारी ले के उसके लिए उपाय      तलाश करे... -हम Feeding india , और Roti Bank जैसे बहुत से NGO को संपर्क करके ऐसे भोजन जो शादी ,या किसी   उत्सव के बाद बच गए हो उन्हें सही तरह हिफाजत से सही लोगो तक पहुच सकते है . - हम अपने दिवाली,ईद ,होली की मिठाईया को थोड़ा काम करके न जाने कितने पेट भर सकते है .. - हम उन परिवार के लिए बेहतर अवसर पैदा करके ..उनके जीवन को बेहतर बना सकते है ... - हम अपनी तरफ से उन्हें निषुल्क दवा दे सकते है और सरकार के बेहतर योजना जो गरीबो के लिए है उनके   बारे में ज़्यादा

सामाजिकता खोता समाज (Paralyzed Society against Women Freedom)

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चाहे देश कोई भी हो ......महिलाओ के लिए, ऐसा लगता है समाज की मानसिकता ........को किसी इलाज की ज़रूरत हो हम बराबरी देने की बात तो करते है ..पर उन्हें बराबर मानते नहीं है लोग ..........इसका उदहारण हमारे देश में आसानी से मिलता है ......चाहे वो लड़कियों की शिक्षा की हो या सही समय पे उनकी शादी की या उनके सपनो की ..... ऐसा लगता है कोई उनसे पूछना नहीं चाहता ......उनकी इच्छा क्या मायने नहीं रखती ....उन्हें इंसान नहीं किसी वास्तु की तरह लोग समझते है .......... हमारा समाज क्यों न उन्हें आरक्षण या दूसरे और वजह से आगे करने का दिखावा करे ...पर कही न कही वो उससे अपने साथ चलता  हुआ नहीं देख सकती ....................हमारे देश में हर मोड़ पे महिलाओ पर लोग अपनी इच्छाये थोपते है ......... ये समाज बस सामाजिक होने का दिखवा भर कर रहा है ...असल में वो महिलाओ के लिए कभी संवेदनसील नहीं रहा ......... लोग आये दिन किसी न किसी रूप में लड़कियों पर होने वाले अत्याचार से रूबरू होते है पर .....किसी बीमार ,लकवे के मरीज की तरह बस देखते है ......विरोध नहीं करते ........ महिलाये भी ...आस पास की महिलाओ पर हो रहे अत्या

Acid Attacks (An Act by Cowards(मानसिक बीमार(बुज़दिल(कायर(डरपोक)))) ) crime against girls in India.

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ये समाज लड़कियों के साथ दरिन्दगी करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है ...... चाहे वो भद्दी बातो से परेसान करना हो ... बलात्कार जैसे शर्मसार करने वाले घटना हो या .....ACID ATTACK ये समाज लड़कियों के लिए हमेसा ही नर्क रहा है .......बराबरी बस नाम की दी है ....उससे                         "ऐसा लगता है एक लड़की को" ना कहने" या "नापसंद" करने का भी हक़ नहीं है ...इस समाज में " क्योंकि बीते दिनों होने वाली घटनाओ ने कुछ ऐसा ही साबित किया ................अगर लड़की माना कर दे किसी लड़के को या वो उसे पसंद न करे तो लड़की के ऊपर ACID फेक देना ........ मानसिक रूप से बीमार....बुज़दिल लोग ये भूल जाते है ........."जबरदस्ती किसी का प्यार हम नहीं पा सकते " और ये बात उन मानसिक रोगियों से सही नहीं जाती ......और वो ये कायराना हरकत करते है ..... ' How  dare she ignore or reject me? She should be taught a lesson that she never forget. ' This is the kind of sick mentality that the girl has to deal with. ये घटना सिर्फ लड़की को शारीरिक रूप से ही तकलीफ नहीं पहुचाती..ब

अनदेखा और भुला बचपन (Ruined Childhood in India Story)

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ऐसा बचपन जिसको खुद इसका पता न हो ....जिसको याद करने का शायद कोई बहाना ही न हो.......जिसकी मासूमियत को रौद दिया गया हो ............. गंगा के घाट पे एक नन्ही सी बच्ची दौड़ती हुई दिखाई देती है ...हस्ती हुई ..खिल खिलाती हुई .....पूरी मासूमियत को अपने अंदर भरे .....मैं भी वही बैठा हूँ...और बाकि सबकी तरह ..उस नन्ही से बच्ची को खुश देख ...मैं भी मुस्कुरा उठा .....और अपने बचपन के दिन याद आ गए .............. तभी वो बच्ची पास खेलते - खेलते  पहुचती है .......और मेरी नज़र अचानक उसके सर के तरफ जाती है ......और मैं क्या देखता हूँ ..........की उसकी मांग में सिन्दूर जैसा कुछ ......और शायद वो देखने में ७ या ८ साल की बच्ची ............... मैं समझ गया की ...उस नन्ही सी बच्ची की शादी करवा दी गयी होगी ...समाज की  किसी खोखली परंपरा.........या खानदान के किसी घटिया रिवाज के नाम पे बलि चढ़ गयी होगी ..........जिसके बारे में वो जानती तो हो पर, शायद पर समझती न होगी....... ""मैंने उस बच्ची को अपने पास बुलाया .....और उत्सुकता वश उससे पूछ लिया .............             की बेटा आपने सर पे ये क्या लग

क्यों सैकड़ो "रचना" स्कूल नहीं जा पाती..असली दर्द शायद समझना मुश्किल नहीं (Girls Child Still missing school in India)

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ये कहानी है रचना की और उसके जैसे और भी लड़कियों की ....Delhi  के पास की और शायद भारत के और भी जगह ऐसे बाते होती होंगी ..... रचना १४ साल की लड़की है ...जो मीलो पैदल चल के अपने सपनो को सच करने की उम्मीद में स्कूल जाती है ,ताकि वो भी कुछ बन सके ..और सर उठा के जी सके ,पर स्कूल आने जाने के रास्ते में उसके साथ हर रोज़ एक शर्मनाक घटना होती रहती है ....पर वो किसी से कुछ नहीं कहती, क्योंकी  उसे पता है ....लोग उसे ही गलत कहेंगे ...उसका स्कूल आना जाना बंद हो जायेगा .... वो डरती है ये कहने से ....की रास्ते में उसके स्कूल के सीनियर क्लास के लड़के उसे छेड़ते है ....उसका हाथ पकड़ के उसे परेसान करते है ....उसे इतना परेसान करते है की उस बच्ची की आँखों से आंसू निकल जाता है ...उसने स्कूल में कह के देख लिया ..कुछ भी नहीं हुआ .....पर वो घर पे नहीं कह प् रही है क्योंकि ,इलज़ाम उसके ऊपर ही आ जायेगा उसे डर है इस बात का ...... एक दिन उस बच्ची से जब रहा नहीं गया ..तो उसने ये बात अपने ...माँ बाप से कह दी ...और हुआ वही जिसका उसे डर था...             "उसके ऊपर सारी गलती थोप दी गयी ....उसको स्कूल जाने से माना कर

घर की देवी को भूल गए हिन्दू ....(Slap on Women Empowerment)

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c A Women check her daughter after the serious injuries, because of dowry related Violence मैं भी हिन्दू हूँ, फिर भी मैंने यही शीर्षक लिखा क्योंकि ...... हमारे ही धर्म में दुर्गा,सरस्वती और लक्ष्मि माँ है ...हमारे ही धर्म में देवियो की पूजा होती है .......फिर भी मैं ये लिखने पर मज़बूर हूँ ऐसा नहीं है की ..बाकि धर्मो में ये शर्मनाक घटना नहीं होती है ....पर मैं जब अपने धर्म की तरफ देखता हूँ .....हमारे यहाँ देवियो को पूजा जाता है ..लेकिन दहेज़ के नाम पे जलाते भी है ....फिर तो हमें ..अपनी मान्यता बदल देनी चाहिए ..देवियो की पूजा बंद कर देनी चाहिए ....क्योंकि इसलिए हम खुद को बाकि धर्मो से अलग समझते है ...........इसलिए मैंने हिन्दू शब्द का उपयोग किया .......... कहने को मैं सभी को गलत कह सकता हूँ ..पर मुज़हे शरुवात पहले अपने घर से करनी होगी इसलिए मैंने हिन्दू शब्द कहा ... Marriage as a financial transaction         पाकिस्तान,बांग्लादेश ,ईरान और भी देशो में ये घटना होती है, लेकिन भारत में ये संख्या बढ़ रही है ..और देशो की तुलना में बहुत ज़्यादा है ... How Much is the "Right"

बेटिया भी आजकल बेटियो की कातिल (When Daughter Killed Own Daughter)

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आज कल बहुत से ऐसे रिपोर्ट्स आती  है ,जब खुद माँ ने कोख में पल रही अपनी बेटियो को मर दिया होता है बेटो की चाह में ...ये समाज का एक ऐसा सच है जिसके बारे में सोचने से ही एक घुटन से होने लगती है ...जहाँ महिलाये आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है वाह एक महिला ही दूसरे की दुसमन बानी हुई है ....हम कह सकते है लडकिया अपने ससुराल के दबाव में बहुत बार बेटियो को कोख में मारती है पर कई बात बेटे की चाह भी एक माँ को अँधा बना देते है ... इसलिए मैंने ये शीर्षक चुना ..की कैसे कोई माँ ऐसा कर सकती है ... मुझे आज भी याद है , मैं पार्क की एक बेंच पे बैठा था ..और कुछ दूरी पर एक माँ अपने दो बच्चो के साथ बैठी थी ,उसमे एक लड़का औए एक बच्ची थी....बच्ची काफी देर से माँ को कुछ कह रही थी ...माँ उससे सुन के भी अनसुना कर रही थी ..मैंने सोचा आखिर वो कह क्या रही है ..तो मैंने जब सुना वो छोटी से बच्ची अपनी माँ से icecream  दिला को कह रही थी ..लेकिन माँ बार बार उससे मन कर रही थी ...तभी उनके बेटे ने icecream की मांग की माँ तुररंत लेने चली गयी ...और लाकर अपने बेटे के हाथ में दे दिया  और उससे अपना प्यार देने लगी ....

इस समाज से बदलाव की उम्मीद रखना महिलाओ के लिए सही या गलत ?

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जिस समाज में लोग अगर महिलाओ के  कपड़ो से उसके व्यक्तिव को आंकते है या वो अपने रात में कितने बजे घर आती है इस बात से..तो ऐसे समाज में अगर बदलाव भी आना होगा तो उसमे अभी शायद बहुत समय है .... आये दिन Delhi  या देश के अलग राज्यो में होने वाली घटनाये और उसके बाद राजनेताओ या और भी शिक्षित लोगो के आने वाले बयान और लोगो की मानसिकता ..जो ये कहती है की किसी लड़की ने या महिला के कपडे पहनने या देर से आने की वजह से ये घटना हुई है .....इस समाज के एक पिछड़े और काले चहरे को भी दर्शाती है .... शायद इस समाज में बदलाव जरूर आये , हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए पर....यह Poster ,banner , internet कैंपेन या candle  मार्च से आ जाये ये मुश्किल लगता है .. महिलाये जब तक अपने सुरक्षा के लिए स्वयं कोई ठोस कदम नहीं उठाएंगे इस समाज में बदलाव नहीं आने वाला ....उन्हें स्वयं पहल करनी होगी ...स्वयं जागरूक होना होगा और अपने आस पास की छोटी बच्चियों को भी करना होगा ... आने वाली महिला पीढ़ी को शुरू से ही इन बातो का ध्यान रखना होगा ...अच्छी बात तो ये होगी अगर माँ बाप ही आपको घर के काम के साथ साथ ..स्वयं की सुरक्षा और आ

क्यों महिलाये आज भी अपनी सुरक्षा के लिए दुसरो पर निर्भर है (Why women or girls always dependent on others for their safety issue)

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क्यों महिलाये आज भी अपनी सुरक्षा के लिए दुसरो पर निर्भर है .... इसकी सबसे बड़ी वजह स्वयं लडकिया ही है ...क्योंकि वो आज भी खुद को कमज़ोर और लाचार समझती है ,वो ये मनना ही नहीं चाहती की ...दुर्गा,सरस्वती के साथ कही नहीं कही उनमे काली भी है .... मैं लड़की हु में ये नहीं कर सकती या वो नहीं कर सकती, ऐसे ही बातो से उन्होंने अपने अंदर एक डर को बना रखा है... ज़रूरी है की महिलाये आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के साथ साथ अपने अंदर आत्मविश्वास लाये ..और वो अपनी सुरक्षा के लिए दुसरो पर निर्भर होना छोड़ दे ....क्योंकि जीवन के हर मोड़ पर ज़रूरी नहीं कोई आपके साथ हो ...या जब आप सड़को पर निकले तो कोई ज़रूरी नहीं है की ..कोई दोस्त या जान पहचान का व्यक्ति आपके साथ हो .....क्या हो अगर आप अकेले हो और कोई मुसीबत आ जाये ..इसलिए आपको अपनी सुरक्षा के विषय में स्वयं सोचना होगा ...आपको स्वयं ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे आप किसी पर निर्भर न हो ....

In India for girls, the synonym that used by people is Goddess So, the Goddess is in danger (भारत में महिलाओ के साथ बढती घटनाये)

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In India for girls, the synonym that used by people is Goddess So, maybe our Goddess is in danger. हमारे देश में क्या सचमूच लड़कियों को देवी तुल्य समझा जाता है ,कुछ हद्द तक ये बात सही भी है क्योंकि हमारे देश में देवियो की पूजा होती ....पर अगर ऐसा होता तो , महिलाओ के प्रति आये दिन होने वाली घटनाये बढाती क्यों जाती ..... आये दिन हम सब लोग अखबारों में खबरे पढ़ते है चाहे वो ,छेड़छाड़ हो या वर्कप्लेस पे महिलाओ के संग होने वाली घटनाये..या रेप जैसी शर्मसार कर देने वाली घटनाये होती है ....या छोटी बच्चियों को पड़ोस या रास्ते से लेके उनके निर्णायक जगह तक होने वाली जो दिक्कत हो ....ये सब इस देश में हो रहा है ..जहाँ नवरात्र के दिन लोग छोटी बच्चियों या महिलाओ को देवी की तरह पूजते है ... ऐसा नहीं है की और देशो में ऐसे घटनाये नहीं होती  .....पर हमारे यहाँ ये बढ़ती ही जा रही..इसमें कमी नहीं आ रही है ....कुछ घटनाये जो दिल को दहला देने वाली थी ...जिसने हर किसी का सर शर्म से निचे झूका दिया..... क्यों लोग हमेसा लड़कियों को ही दोष देते है ...वो क्यों भूल जाते है की पीड़ित होने वाली लडकिया ही ह

We are the Hope against child Hunger, Right to Education and Health(हम सब है ..उम्मीद ना उम्मीद हो चुके उन हज़ारो परिवारों के लिए ,भूख ,आशिक्षा, कुपोषण से रोज़ लड़ते उन बच्चो के लिए )

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हम सब है ....उम्मीद ....ना उम्मीद हो चुके उन हज़ारो परिवारों के लिए ,भूख ,आशिक्षा, कुपोषण से रोज़ लड़ते उन बच्चो के लिए  ..... अगर हम चाहे तो क्या नहीं कर सकते है ...हम सब भारतीय जो शिक्षित है ..और दुसरो को जिन्हें नहीं ज्ञान उन्हें बहुत सी बाते बता सकते है ...उन बच्चो तक वो ज़रूरी ज्ञान पहुच सकते है जो उनके विकास के लिए ज़रूरी है ..वो हज़ारो ,लाखो बच्चे जो हमारे पडोश में सड़को पर छोटी बस्तियों में उम्मीद लगाए बैठे है कोई आएगा और उन्हें यहाँ से निकालेगा ... हम सब अपने लेवल पर कुछ योगदान ज़रूर कर सकते है ....इन नन्हे उम्मीद के दीपको के लिए ... ताकि ये पुरे जहाँ को रोशन कर सके ....और अपना जीवन बेहतर बना सके ... हमें सिर्फ पहल ही तो करनी है अपनी योग्यता अनुसार ..... मैं किसी को अपने योग्यता या कोई अतिरिक्त काम कर ने को नहीं कह रहा बस इतना आग्रह कर रहा हूं की आपके आस पास जो बच्चे है ..आप उन्हें एक समूह बनाके शिक्षित तो कर ही सकते है ...ये काम आखिर कितना  मुश्किल है ........अगर हमारा ज्ञान किसी के काम आ जाये तो इससे अच्छा क्या होगा ...चाहे हम हेल्थ से जुडी या शिक्षा से जुडी सम

Street Children in India(सड़को पर सोता भारत )

Economy of India Statistics GDP $2.30 trillion (nominal; 2016) $8.72 trillion (PPP; 2016) GDP rank 6th (nominal) / 3rd (PPP) GDP growth 7.6% (2015-16) GDP per capital $1,718 (nominal; 2016) $6,658 (PPP; 2016) बच्चे तो अपने रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड या ब्रिज के निचे या चौराहो के आस पास देखे ही होंगे ..उनमे से ज़्यादा वही रहते है वही सोते है ..कुछ शायद गांव से आते है पैसा कमाने और सड़को पे रहते है कुछ अपने परिवार के साथ वही रहते है ..... हम सब देखते तो है ही हर रोज़ .... आपको पता है सरकार ने अपने घोषणा पत्र में internet  और विफई फ्री करने की बात कही है Laptop भी बाटे गए है ...सब कुछ Digital भी हो रहा है ये भी अच्छा है भला हम America  और चीन से पीछे क्यों रहे .... लेकिन "हमारी  सरकार चाहे वो राज्य की हो या केंद्र की उसमे उन सड़क पे रहने वालो लोगो के लिए कोई योजना नहीं है"    उन लोगो को बेहतर घर या रोज़गार देने की कोई बात नहीं है ... ४०% - ११ से १५ साल के बच्चे  ३३% -  ६ से १० साल के बच्चे सड़को पे रहते है ... किसी भी तरह के shelter (शरणगाह) की कोई व्य

भोजन के लिए इंतज़ार करते मासूम (Waiting for Mid-Day Meal Supplies)

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आपको पता है ऐसे बहुत से स्कूल है जहा महीनो से या सालो से मिड डे मील की सप्लाइज नहीं पहुच रही है ..और मासूम बच्चे जो शायद भोजन के लिए ही स्कूल जाते है वो आँखे बिछाये इंतज़ार कर रहे है ..ऐसे बहुत से स्च्होल है जहा सामान नहीं पहुच रहा है ...और आने जाने वाले लोगो को बच्चे इस उम्मीन्द में देखते शायद ये हमारे लिए भोजन लेके आया हो ....हम सब ये सुनते है देखते है दुखी भी होते है पर अपने आस पास ध्यान नहीं देते .... गांव के लोग शायद इतने जानकार न हो इन्टरनेट के की वो अपनी बात सरकार तक पहुच सके पर वो सभी लोग जो facebook ,twitter , या कोई और माध्यम अपनाते है वो सक्कर को सूचित आकर सकते है की कहा क्या कमी है ..या किस चीज़ की ज़रुरत है ...क्योंकि सरकार को किसी बात की जानकारी देना ये भी हमरा कर्त्तव्य है ...हम इससे निभा ले तो उन लाखो बच्चो तक भोजन पहुच सके और वो पढ़ भी सके शायद और मन लगा के .....

Lack of Political will on Hunger(भूखमरी पर अन्धी और बहरी सरकार )

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बहुत जल्द ही हम दुनिया के उन कुछ देश में शामिल हो चुके है जो मंगल तक पहुच चूका है और जल्द ही हम अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था से सुपरपावर भी बन ही जायेंगे लेकिन एक सच ये भी है की अभी भी २० करोड़ बच्चे हमारे यहाँ भूखे सोते है , सरकार अपनी आँखे मूंदी हुई है ...आपको पता है की सुप्रीम कोर्ट ने कुछ साल पहले सरकार को आदेश दिया था  की ६७००० टन अनाज जो शायद सड़ने के करीब है उसे गरीब लोगो में वितरित कर दिया जाये ताकि वो सही जगह पहुच सके ..और गोदाम में रखे रखे साद न जाये ..लेकिन उस वक़्त के प्रधानमंत्री जी ने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया था और कहा था की , सरकारी कामकाज में कोर्ट दखल न दे... हमारे देश को सुपरपावर बनने की बहुत जल्दी है लेकिन इन बुनियादी समस्याओ को वो दूर कर न नहीं चाहता ,छोटे छोटे संघठन तो अपनी ज़िम्मेदारी जानते है पर शायद सरकार नहीं जानती है I ActionAid के मुताबिक़ १९९० और २०११ में भुखमरी की समस्या जस की तस की मतलब उसमे कुछ ज़्यादा सुधर नहीं हुआ ....  Meredith Alexander said-- " The real cause of hunger isn't lack of food, it is lack of political will."

You heard about "World Food Day"(विश्व खाद दिवस)

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हम  कुछ ही लोग को पता होगा की १६ अक्टूबर को विश्व खाद दिवस मनाया जाता है ,बहुत लोगो ने अगर सुना भी होगा तो उससे शायद इसका मतलब न पता हो .... आकड़ो के मुताबिक हर रोज़ १६ रीपिये का खर्च है ताकि एक बच्चे को सारे विटामिन्स मिल सके जन्म से लेके उसके २ साल तक तक उससे कुपोषण से बचाया जा सके लेकिन वो भी मुश्किल हो जाता है .... इस दिन को याद रखना है और भूख के खिलाफ या ऐसे लोगो के लिए जिनको ये आसानी से नहीं मिलता एक जंग करनी है, हम्मे ये कोशिस करनी है का सभी को आहार मिल सके कम से कम हमारे आस पास जो लोग झोपड़ियो में रहते है उन्हें पोषण और सही आहार की जानकारी देनी होती , उन तक सरकार की और, अपनी मदद पहुचानी होगी पुरे लोगो तक अगर न पंहुचा पाए ..कम से कम एक परिवार तक तो हम सही जानकारी ..सही आहार ..और ज़रूरत पड़ने पर वो भोजन पंहुचा सके यूनिसेफ जैसे संस्थाए विटामिन्स और आयरन की सप्लाई कुछ देशो में करती है ताकि लोगो की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाये जा सके ... हमें अपनी तरफ से भी कुछ कोशिस करनी होगी ...हम सब चाहे तो अपने कॉलोनियों में एक संघठन तैयार कर सकते है जो अपने आस पास के लोगो का ध्या