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Showing posts from October, 2016

Child Hunger in india(भोजन है पर,पहुँच के बाहर)

मैं हमेसा ही सोचता था की अगर मेरा देश कृषि प्रधान है तो इसका अर्थ है की  सभी को  को इतना भोजन तो मिलता ही होगा की लोग अपना जीवन यापन कर सके पर मैं गलत था ,हमारे देश में सभी को भोजन आसानी से नहीं मिलता , खासकर छोटे बच्चे या वो लोग जो सड़को के आस पास रहते है I 3000 बच्चे हर रोज़ भारत में मरते है भोजन की कमी और  कम पोषण वाले खाने की वजह से 4 में  1 बच्चा कुपोषित है 24% बच्चे 5 साल से कम उम्र में ही अपनी जान से हाथ धो बैठते है I अक्सर सड़को पर आपको लोग देखने को मिलते ही होंगे हम सब ही उन्हें रेलवे स्टेशन बस स्टैंड या किसी भी सार्वजनिक जगह तो देखते ही है ,कभी हमारे अंदर का इंसान उनकी मदद भी कर देता है और कभी हम अपनी परेसानी में मुह छिपाये बस देखते रहते है और और अनदेखा कर वहाँ से चले जाते है I मैं भी हमेसा ही रूबरू होता हूँ अंदर से मन दुखी भी होता है कभी पैसे तो कभी भोजन देकर आगे बढ़ जाता हूँ,सोचता रहता हूँ की, ऐसा क्या रास्ता निकले या ऐसा क्या किया जाये की इस परिस्थिति को काम किया जा सके क्योंकि ख़त्म तो होना शायद मुश्किल है I मैंने काफी पढ़े लिखे लोगो को यह कहते सुना है की लोग अगर सड़क

MidDay Meal Killed Children (मध्यान भोजन की भेट चढ़े बहुत से बच्चे )

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मैं आज भी अपने आस पास के सरकी प्राइमरी स्कूल में जाता हु और वहाँ बढ़िया बोर्ड पर भोजन का मेनू लिखा हुआ देखता हूं और सोचता हूं जितना मन इससे लिखने में लगाया गया शायद बनाने और परोसने में लगाते तो बात बन जाती .... आपको पता है की पिछले कुछ सालो में बहुत से बच्चे मिड डे मील का खाना खाके अपनी जान से हाथ धो बैठे है ...ऐसे खबरो पर हम ध्यान ही नहीं देते पर ऐसा पिछले कुछ सालो से हुआ है ..... न जाने कितने बच्चे बुरा खाना खा के ..गन्दा खाना खा के मर चुके है और न जाने अभी कितनो की जान जाना बाकी है ...हम सभी शायद अंदर से मर चुके है तभी हम कुछ नहीं कर कर रहे है ... काम से काम आप पाने आस पास या गली --मुहल्लों के स्कूल में देख तो सकते है की वहाँ सरकार की योजना पहुच भी रही है या नहीं या बच्चो को भोजन मिल भी रहा है या नहीं ...या वो किसी के अंधे लालच की भेट तो नहीं चढ़ रहे है ..ये इतना मुश्किल तो नहीं है दोस्तों ...मैं कर सकता हूं तो आप भी कर ही सकते है .....