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Showing posts from 2016

बम या भूख कौन ज़्यादा खतरनाक (Hunger Bomb that Explode Everyday)

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हर रोज़ इतनी मासूम  जाने भूख से चली जाती जितनी शायद द्वितीय विश्वयुद्ध में भी नहीं गयी होंगी ...हम अपने देश को बम से बचाने में लगे हुए है ..लाखो करोडो खर्च कर रहे है .....लेकिन उससे ज़्यादा जान तो हर रोज़ बच्चे ,बुज़ुर्ग और उन परिवारों की चली जाती है, जिन्हें भूखे पेट सोना पड़ता है....मैं सुरक्षा के खिलाफ नहीं हूँ ..पर मैं व्यवस्था में बदलाव चाहता हूँ ..ताकि उचित आनाज उन भूखे लोगो के पास पहुँच सके जिनको ज़रुरत है ...   मैं उन लोगो के खिलाफ हूँ जो देख के भी नहीं देखते ..लोगो का दर्द ...जो आँखे मूंदे आगे बढ़ जाते है ...हम लाखो करोडो का अनाज हर रोज़ नुकसान करते है ...शादी हो या कुछ और कभी किसी बहाने से बस नुकसान करते है ...दे सकते है ज़रुरत मंदो को पर देते नहीं ..क्योंकि कोई मरे तो मरे इससे हमें क्या .. .हम तो बच ही जायेंगे क्योंकि हमारे पास है ......२ रोटी या ४ पैसे दे देने से या किसी भूखे को खाना खिला देने से हम सब का खाजाना जो काम हो जायेगा ..यही छोटी सोच हमें एक दूसरे की मदद करने से रोक  रही है .. इसी सोच की वजह से हम बम से बचने में लगे है जबकि हर रोज़ इतने लोग भूख से मरते है

भूख को हराना होगा (Fight Against Hunger)

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सब लोग नहीं लेकिन कुछ लोग ,हम कुछ लोग मिल के बदलाव ला सकते है अपने आस - पास लोगो को और जागरूक करके, उन्हें उन बच्चो की बंद होती आँखों का वास्ता देके शायद या ज़रूरत पड़े तो उन मासूम बच्चो की सिसकी दिखा कर हमें बदलाव की चिंगारी तो जलानी ही होगी. क्योंकि हम दूसरे की पहल का इंतज़ार करे हमारे इसी इंतज़ार में न जाना कितने मासूम चले गए जिनको कोई भी गलती नहीं थी ..गलती हमारी थी क्योंकि हमने आँखे मूँद रखी थी कभी तो हमें अपनी नींद से जागना होगा ...आज ही क्यों न जगे ... बड़ा बदलाव इन छोटी - छोटी कोशिशो से ही तो आएगा .... मैं ज़रूर वो बदलाव बनूँगा जो मैं दूसरे में देखना चाहता हूँ ..आप भी एक कदम ज़रूर बढाइये

क्या ये भूख हमारे बच्चे के भविष्य को तो नहीं खा रहा (Hunger (malnutrition) swallows the future of children in india )?

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दुनिया में लोगो को क्या चाहिए -- भोजन और शांति लेकिन अगर पेट में भोजन न हो तो शांति की बात बेमानी सी लगती , इसलिए भोजन का महत्व और भी बढ़ जाता है I हमारे बच्चे जिन्हें पूरा पोषण युक्त भोजन नहीं मिलता या जिन्हें भोजन ही नहीं मिलता ...वो उसी भोजन के लिए मेहनत भी करते है और गलत रास्ते पे निकल जाते है .... मासूम सी बच्चे जिन्हें सही और गलत नहीं पता वो अक्सर अपने पेट की आग शांत करने के लिए ऐसे रास्ते पर निकलपड़ते है जहा से लौटना  मुश्किल हो जाता है... ""हमें अपने बच्चो के भूख का ख्याल रखना होगा ताकि  पेट भरने के साथ साथ उनका भविष्य भी सुरक्षित हो सके "" "उन्हें सड़को की खाक न छाननी पड़े  ..उन्हें भोजन मिल सके जिसमे पोषण हो जिसमे बेहतर भविष्य की उम्मीन्द हो "

MidDay Meal (Midday Meal-कुछ के लिए भोजन का एक मात्र विकल्प , तो कुछ के लिए धन बनाने के एक रास्ता )

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मुझे आज भी याद है, मैं अपने घर बनारस से कुछ दूर एक गांव में गया जहा एक स्कूल था ,वहाँ के एक व्यक्ति उस स्कूल में टीचर थे ,दोपहर हो चुकी थी और वो अपने घर के काम में लगे थे ..मैंने उनसे पूछा क्या आपको स्कूल पढने नहीं जाना ..काफी देर हो चुकी है तो उन्होंने हस्ते हुए कहा जायेंगे न आराम से ...वैसे भी बच्चे कहा पढ़ते है ... तभी मैं अचानक बोल पड़ा आप पढ़ाने सही समय पर जाते नहीं तो बच्चे पढ़ेंगे कैसे .... वो मास्टर उस स्कूल के मिड डे मील का सारा काम भी देखते थे तो मैंने उनसे पूछा की ,इस योजना के तहत तो काफी अच्छा अनाज और फल आता है पर बच्चो की थाली में ये सब था नहीं ....तो उस मास्टर ने मुझसे कहा की स्टाफ को भी तो देखना है ..सब बच्चे खा लेंगे तो हमें क्या मिलेगा ......ऐसी तो सोच है एक टीचर की ....... मध्या मील योजना जो दुनिया की एक मात्र ऐसे योजना जो पूरी दुनिया में खूब सराही गयी लेकिन अपने देख में शायद इसका इस्तेमाल नहीं हुआ ..... आपको शायद जानके आश्चर्य हो लेकिन ऐसे बहुत से परिवार है जिनके लिए या उनके बच्चो के लिए यही एक मात्र भोजन मिलने ला विकल्प है ..पर कुछ लालची लोग ऐसे होने नहीं द

क्यों भारत में ये समस्या बड़ी है (Hunger Issue big in india)

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भारत में इस समस्या होने की वजह बहुत सारी है ....ऐसा नहीं है की हमारे यहाँ आनाज की कमी है बल्कि वो सही तरीके से लोगो तक पहुँच रहा है की नहीं  ,सरकार की लापरवाही की वजह से अक्सर आनाज गोदाम में ही सड़ जाता है और लोगो तक सस्ते मूल्य में नहीं पहुँच पता  सरकार अगर चाहे तो वो अनाज जो गोदाम में सड़ जाता है ,उससे गरीबो तक सस्ते मूल्य या कुछ आनाज बिना पैसे से भी गरीबो तक या ऐसे लोग जो बप्ल है पर पोषण युक्त भोजन खरीद नहीं सकते उन्हें पहुचाया जा सके  सरकार अगर अनाजो का सही प्रबंधन करे तो इस समस्या को दूर कर सकते है बहुत हद तक ज़रूरी है की  हम भी अपने तरफ से कुछ प्रयास करे -- अपना घर से ही हमें ये शुरू करना पड़ेगा ,भोजन की हानि को काम  करना होगा हलाकि ,ये कोसिस शायद पूरी नहीं पर कही से तो शुरुवात  करना  होगा I  हमें और भी प्रयास उन लाखो  करोडो बच्चे के लिए करना होगा जो शायद हमसे अपने लिए कुछ कह भी नहीं सकते ,हम न जाने कितना भोजन नष्ट कर देते है आये दिन और वो किसी के काम नहीं आ पता I  ऐसा नहीं है की भूखे बच्चे हमारे यहाँ है सड़को पे सोते है या कोई महिला या बुजुर्ग बस हमारे यहाँ ये सम

Child Hunger in india(भोजन है पर,पहुँच के बाहर)

मैं हमेसा ही सोचता था की अगर मेरा देश कृषि प्रधान है तो इसका अर्थ है की  सभी को  को इतना भोजन तो मिलता ही होगा की लोग अपना जीवन यापन कर सके पर मैं गलत था ,हमारे देश में सभी को भोजन आसानी से नहीं मिलता , खासकर छोटे बच्चे या वो लोग जो सड़को के आस पास रहते है I 3000 बच्चे हर रोज़ भारत में मरते है भोजन की कमी और  कम पोषण वाले खाने की वजह से 4 में  1 बच्चा कुपोषित है 24% बच्चे 5 साल से कम उम्र में ही अपनी जान से हाथ धो बैठते है I अक्सर सड़को पर आपको लोग देखने को मिलते ही होंगे हम सब ही उन्हें रेलवे स्टेशन बस स्टैंड या किसी भी सार्वजनिक जगह तो देखते ही है ,कभी हमारे अंदर का इंसान उनकी मदद भी कर देता है और कभी हम अपनी परेसानी में मुह छिपाये बस देखते रहते है और और अनदेखा कर वहाँ से चले जाते है I मैं भी हमेसा ही रूबरू होता हूँ अंदर से मन दुखी भी होता है कभी पैसे तो कभी भोजन देकर आगे बढ़ जाता हूँ,सोचता रहता हूँ की, ऐसा क्या रास्ता निकले या ऐसा क्या किया जाये की इस परिस्थिति को काम किया जा सके क्योंकि ख़त्म तो होना शायद मुश्किल है I मैंने काफी पढ़े लिखे लोगो को यह कहते सुना है की लोग अगर सड़क

MidDay Meal Killed Children (मध्यान भोजन की भेट चढ़े बहुत से बच्चे )

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मैं आज भी अपने आस पास के सरकी प्राइमरी स्कूल में जाता हु और वहाँ बढ़िया बोर्ड पर भोजन का मेनू लिखा हुआ देखता हूं और सोचता हूं जितना मन इससे लिखने में लगाया गया शायद बनाने और परोसने में लगाते तो बात बन जाती .... आपको पता है की पिछले कुछ सालो में बहुत से बच्चे मिड डे मील का खाना खाके अपनी जान से हाथ धो बैठे है ...ऐसे खबरो पर हम ध्यान ही नहीं देते पर ऐसा पिछले कुछ सालो से हुआ है ..... न जाने कितने बच्चे बुरा खाना खा के ..गन्दा खाना खा के मर चुके है और न जाने अभी कितनो की जान जाना बाकी है ...हम सभी शायद अंदर से मर चुके है तभी हम कुछ नहीं कर कर रहे है ... काम से काम आप पाने आस पास या गली --मुहल्लों के स्कूल में देख तो सकते है की वहाँ सरकार की योजना पहुच भी रही है या नहीं या बच्चो को भोजन मिल भी रहा है या नहीं ...या वो किसी के अंधे लालच की भेट तो नहीं चढ़ रहे है ..ये इतना मुश्किल तो नहीं है दोस्तों ...मैं कर सकता हूं तो आप भी कर ही सकते है .....