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A Letter to Every Indian Girl: The Final Way for Girl's Safety(महिलाओ का सशक्त बनने की तरफ पहला कदम )First Step to Empowering Girls/Women.

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No more Candle March ,No more Banner ,No more Request कब तक युही लडकिया अपनी सुरक्षा और समाज को जगाने के लिए CANDLE MARCH करती रहेंगी ...बहुत हो गया ये सब ,अब ज़रूरत है जवाब देने की ........... कब तक दुसरो के भरोसे लड़कियों की सुरक्षा रहेगी ......कब ये खुद की सुरक्षा करने के लिए ततपर होंगी ............ जैसे आप खाना बनाना .....या पढाई करना सीखती हो, क्यों नहीं आप Judo ,KARATE या और भी कोई martial arts सीखना जीवन का एक हिस्सा बना रही हो ......आप सीखो ..अपने बच्चियों को सिखने भेजो ......क्यों आप आत्मनिर्भर नहीं बनती ...अपनी सुरक्षा के लिए ............. अपनी सुरक्षा के लिए मुकाबला करना गलत तो नहीं होता ...या हथियार उठाना ......तो लड़कियों द्वारा ये राह अपनाने में देरी क्यूँ ???????????????? ........... क्यूँ वो सब चुप होकर सहती है ...क्यूँ आवाज नहीं उठाती.........माना की आप लक्ष्मि और सरस्वतीजी का रूप हो पर दुर्गा और काली बनने से आपको किसने माना किया है .........अब ज़रूरत है उस अवतार की ....आपकी अपनी सुरक्षा के लिए, चाहे वो आप को सड़क चलते करनी हो ...ऑफिस में करनी हो ...या रिस्तेदारो

धर्म-मज़हब की बेड़ियो में जकड़ता अंगदान (A Way to Live after Death )Organ Donation in India

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हम अपनी संस्कृति और समाज पे इतना गर्व करते है ...पर हम ऐसे काम करने से क्यों डरते है ..जो कही न कही उसी समाज को बेहतर बनाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है ................ अंग दान जिसको शायद मैं सबसे बड़ा दान कहूंगा और ये है भी .....पर हमारे देश में पता नहीं क्यों इसके लिए लोग जागरूप नहीं होना चाहते ...... क्यों लोग अधिक से अधिक इस दान को कर के ...लोगो की जीवन में दोबारा उजाला ला सकते है .....चाहे वो बुजुर्ग हो या बच्चा या महिला ,इससे हर कोई लाभान्वित होंगे .................. अगर हमारा शरीर मारने के बाद किसी के काम आ जाये तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता .....किसी को आँखे मील जाये ....किसी को दिल ..और किसी को किडनी .............ये किसी के बुझती हुई जीवन को दोबारा चमकदार बना सकता है ...... कम जागरूप होने की शायद सबसे बड़ी वजह है :   "धर्म - मज़हब" क्योंकि लोगो को शायद ऐसा लगता ...की मरने के बाद अगर उनके अंग किसी और को दान किया तो वो शायद वो स्वर्ग या जन्नत नहीं जा पाएंगे और नर्क जायेंगे .............. काश लोग अंग दान के महत्व को समझते तो वो जान पाते की ...इससे होने

भूख के खिलाफ जंग .....(what are the technique for the fight against Hunger)

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"बेहतर खाद्य प्रबंधन ना होने से हमारे देश के २० करोड़  बच्चे और उनके परिवार आज दाने - दाने के लिए तरस रहे है  " कोई मुर्ख इस बात से परेसान हो सकता है ..मुझे गालिया भी दे सकता है की मैं देश  के बारे में ऐसा क्यों लिख रहा हूं ..पर जो देश भक्त होंगे और उससे भी पहले जिनमे इंसानियत होगी वो जान जायेंगे की बात भले ही कड़वे है, पर यही सत्य है ..... -हमारे देश में बहुत से NGO है जो काम कर रही है ..हम उनसे संपर्क कर सकते है ... -हम मोहल्ला संगठन बना सकते ...जो आस पास के कुपोषित बच्चो की जानकारी ले के उसके लिए उपाय      तलाश करे... -हम Feeding india , और Roti Bank जैसे बहुत से NGO को संपर्क करके ऐसे भोजन जो शादी ,या किसी   उत्सव के बाद बच गए हो उन्हें सही तरह हिफाजत से सही लोगो तक पहुच सकते है . - हम अपने दिवाली,ईद ,होली की मिठाईया को थोड़ा काम करके न जाने कितने पेट भर सकते है .. - हम उन परिवार के लिए बेहतर अवसर पैदा करके ..उनके जीवन को बेहतर बना सकते है ... - हम अपनी तरफ से उन्हें निषुल्क दवा दे सकते है और सरकार के बेहतर योजना जो गरीबो के लिए है उनके   बारे में ज़्यादा

सामाजिकता खोता समाज (Paralyzed Society against Women Freedom)

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चाहे देश कोई भी हो ......महिलाओ के लिए, ऐसा लगता है समाज की मानसिकता ........को किसी इलाज की ज़रूरत हो हम बराबरी देने की बात तो करते है ..पर उन्हें बराबर मानते नहीं है लोग ..........इसका उदहारण हमारे देश में आसानी से मिलता है ......चाहे वो लड़कियों की शिक्षा की हो या सही समय पे उनकी शादी की या उनके सपनो की ..... ऐसा लगता है कोई उनसे पूछना नहीं चाहता ......उनकी इच्छा क्या मायने नहीं रखती ....उन्हें इंसान नहीं किसी वास्तु की तरह लोग समझते है .......... हमारा समाज क्यों न उन्हें आरक्षण या दूसरे और वजह से आगे करने का दिखावा करे ...पर कही न कही वो उससे अपने साथ चलता  हुआ नहीं देख सकती ....................हमारे देश में हर मोड़ पे महिलाओ पर लोग अपनी इच्छाये थोपते है ......... ये समाज बस सामाजिक होने का दिखवा भर कर रहा है ...असल में वो महिलाओ के लिए कभी संवेदनसील नहीं रहा ......... लोग आये दिन किसी न किसी रूप में लड़कियों पर होने वाले अत्याचार से रूबरू होते है पर .....किसी बीमार ,लकवे के मरीज की तरह बस देखते है ......विरोध नहीं करते ........ महिलाये भी ...आस पास की महिलाओ पर हो रहे अत्या

Acid Attacks (An Act by Cowards(मानसिक बीमार(बुज़दिल(कायर(डरपोक)))) ) crime against girls in India.

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ये समाज लड़कियों के साथ दरिन्दगी करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है ...... चाहे वो भद्दी बातो से परेसान करना हो ... बलात्कार जैसे शर्मसार करने वाले घटना हो या .....ACID ATTACK ये समाज लड़कियों के लिए हमेसा ही नर्क रहा है .......बराबरी बस नाम की दी है ....उससे                         "ऐसा लगता है एक लड़की को" ना कहने" या "नापसंद" करने का भी हक़ नहीं है ...इस समाज में " क्योंकि बीते दिनों होने वाली घटनाओ ने कुछ ऐसा ही साबित किया ................अगर लड़की माना कर दे किसी लड़के को या वो उसे पसंद न करे तो लड़की के ऊपर ACID फेक देना ........ मानसिक रूप से बीमार....बुज़दिल लोग ये भूल जाते है ........."जबरदस्ती किसी का प्यार हम नहीं पा सकते " और ये बात उन मानसिक रोगियों से सही नहीं जाती ......और वो ये कायराना हरकत करते है ..... ' How  dare she ignore or reject me? She should be taught a lesson that she never forget. ' This is the kind of sick mentality that the girl has to deal with. ये घटना सिर्फ लड़की को शारीरिक रूप से ही तकलीफ नहीं पहुचाती..ब

अनदेखा और भुला बचपन (Ruined Childhood in India Story)

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ऐसा बचपन जिसको खुद इसका पता न हो ....जिसको याद करने का शायद कोई बहाना ही न हो.......जिसकी मासूमियत को रौद दिया गया हो ............. गंगा के घाट पे एक नन्ही सी बच्ची दौड़ती हुई दिखाई देती है ...हस्ती हुई ..खिल खिलाती हुई .....पूरी मासूमियत को अपने अंदर भरे .....मैं भी वही बैठा हूँ...और बाकि सबकी तरह ..उस नन्ही से बच्ची को खुश देख ...मैं भी मुस्कुरा उठा .....और अपने बचपन के दिन याद आ गए .............. तभी वो बच्ची पास खेलते - खेलते  पहुचती है .......और मेरी नज़र अचानक उसके सर के तरफ जाती है ......और मैं क्या देखता हूँ ..........की उसकी मांग में सिन्दूर जैसा कुछ ......और शायद वो देखने में ७ या ८ साल की बच्ची ............... मैं समझ गया की ...उस नन्ही सी बच्ची की शादी करवा दी गयी होगी ...समाज की  किसी खोखली परंपरा.........या खानदान के किसी घटिया रिवाज के नाम पे बलि चढ़ गयी होगी ..........जिसके बारे में वो जानती तो हो पर, शायद पर समझती न होगी....... ""मैंने उस बच्ची को अपने पास बुलाया .....और उत्सुकता वश उससे पूछ लिया .............             की बेटा आपने सर पे ये क्या लग

क्यों सैकड़ो "रचना" स्कूल नहीं जा पाती..असली दर्द शायद समझना मुश्किल नहीं (Girls Child Still missing school in India)

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ये कहानी है रचना की और उसके जैसे और भी लड़कियों की ....Delhi  के पास की और शायद भारत के और भी जगह ऐसे बाते होती होंगी ..... रचना १४ साल की लड़की है ...जो मीलो पैदल चल के अपने सपनो को सच करने की उम्मीद में स्कूल जाती है ,ताकि वो भी कुछ बन सके ..और सर उठा के जी सके ,पर स्कूल आने जाने के रास्ते में उसके साथ हर रोज़ एक शर्मनाक घटना होती रहती है ....पर वो किसी से कुछ नहीं कहती, क्योंकी  उसे पता है ....लोग उसे ही गलत कहेंगे ...उसका स्कूल आना जाना बंद हो जायेगा .... वो डरती है ये कहने से ....की रास्ते में उसके स्कूल के सीनियर क्लास के लड़के उसे छेड़ते है ....उसका हाथ पकड़ के उसे परेसान करते है ....उसे इतना परेसान करते है की उस बच्ची की आँखों से आंसू निकल जाता है ...उसने स्कूल में कह के देख लिया ..कुछ भी नहीं हुआ .....पर वो घर पे नहीं कह प् रही है क्योंकि ,इलज़ाम उसके ऊपर ही आ जायेगा उसे डर है इस बात का ...... एक दिन उस बच्ची से जब रहा नहीं गया ..तो उसने ये बात अपने ...माँ बाप से कह दी ...और हुआ वही जिसका उसे डर था...             "उसके ऊपर सारी गलती थोप दी गयी ....उसको स्कूल जाने से माना कर